Tuesday, July 14, 2009

वरुण को पड़े जम कर फटकार

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वरुण गांधी पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून लगाया जाना कितना न्यायोचित है? उनके ख़िलाफ़ चार केस दर्ज होने चाहिए या सिर्फ़ एक? चुनाव आयोग का भाजपा को यह राय देना कि वह वरुण गांधी को अपना उम्मीदवार न बनाए, सही है या ग़लत?

भाजपा, बसपा, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी सभी इस मसले को कैसे भुना रही हैं और किसे कितना राजनीतिक नुक़सान या लाभ मिलने की संभावना है? क्या उत्तर प्रदेश में वरुण गांधी की वजह से राजनीतिक समीकरण बदले हैं? क्या भाजपा के वोट इस प्रकरण से बढ़ रहे हैं या उसे नुक़सान हो रहा है?

राजनीतिक पंडित और विशेषज्ञ सभी इस तरह के मुद्दों की गहन समीक्षा कर रहे हैं. मेरी नज़र में यह पूरी बहस और ये सभी मुद्दे बेमानी हैं.

मेरी समझ में असली मुद्दा कुछ और है और उसके परिणाम को 2009 या आगे के चुनावों या राजनीतिक समीकरणों में बांध कर नहीं देखा जा सकता.

मैं अभी तक स्तब्ध हूँ कि वरुण गांधी जैसा युवा इस तरह की भाषा बोल सकता है और इस तरह की सोच रख सकता है.

ऐसा वर्ग जिसके पास सब कुछ है

वरुण गांधी जैसा युवा मैंने सिर्फ़ इसलिए नहीं कहा कि उनके नाम के साथ गांधी और परिवार का इतिहास जुड़ा हुआ है. वह तो एक कारण है ही. मैं हैरान, हताश और दुखी इसलिए हूँ कि वरुण समाज के उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसके पास सब कुछ है.

राहुल और प्रियंका गांधी की तुलना में वरुण अपनी स्थिति पर कितना भी तरस खाएं और सिर्फ़ इस मुद्दे पर वरुण के साथ हमदर्दी रखने वालों की अच्छी संख्या हो सकती है. पर भाग्य और नियति के उस फ़ैसले का ऐसा जवाब तो वरुण को नहीं देना चाहिए था. भला यह भी कोई तरीक़ा है अपने राजनीतिक भविष्य को संवारने का?

वरुण के बयानों से देश के भविष्य को लेकर मन में डर पैदा होता है. जिस लड़के को इतनी अच्छी शिक्षा मिली हो, हर तरह से संपन्न हो, सुशिक्षित हो, सुसंस्कृत हो, जिसने दुनिया देखी हो और युवा हो.....वह हाथ से हाथ मिलाकर देश जोड़ने की नहीं, हाथ काटने की बात करे और सोचे...? क्या यही हमारा और हमारे देश का भविष्य है?

पहले मैंने सोचा छोटा है, आवेश में बोल गया होगा. मुँह से कभी-कभी ऊल-जलूल निकल ही जाता है. पर भूल स्वीकारने की जगह और ईमानदार क्षमा-याचना करने की बजाय वरुण तो इस मुद्दे को अच्छी तरह से भुनाने और आगे निकल पड़े....यह अति निंदनीय है....डाँट पड़नी चाहिए जमकर वरुण को.....पर डांटे कौन?

माँ भी वहाँ पहुँचीं और सही सलाह देने के स्थान पर सारी ग़लती और हिंसा का ठीकरा एक मुसलमान पुलिसवाले के सर पर फोड़ डाला. फिर बात भी वही है......हो सकता है कि वह अधिकारी हो ही ग़लत, पर क्या मेनका गांधी को यह बयान शोभा देता है?

भाजपा की स्थिति तो और भी अजीबोग़रीब है. उन्हें, या यूँ कहिए कि पार्टी के एक वर्ग को यह समझ में ही नहीं आ रहा है कि वह वरुण गांधी से अपना पल्ला झाड़े और उसको और हीरो बनने से रोके या फिर हिंदुत्व का नया नौजवान झंडाबरदार बनने के लिए उसकी पीठ थपथपाए.

भाजपा के एक तबके में वरुण गांधी से भारी ईष्या भी है. कल एक वरिष्ठ भाजपा सांसद ने मुझे बताया कि भाजपा नेतृत्व का वह वर्ग जो स्वयं को पार्टी में हिंदुत्व का ठेकेदार या 'आर्चबिशप' समझता है, वह वरुण के अचानक इस कदर सुर्खियों में आने की वजह से बहुत हैरान परेशान है.

उनका कहना है कि उन्होंने कितने आंदोलन करवाए, हिंदुत्व के लिए सड़क पर उतरे, कभी दंगे हुए तो कभी मस्जिद गिरी...अर्थ यह कि इतने पापड़ बेले, हिंदुत्व के लिए इतनी तपस्या की, तब जाकर नाम कमाया और नेतृत्व मिला. उस पर यह वरुण गांधी - 'कल का छोकरा, सार्वजनिक जीवन में नौसिखिया, महज़ एक भाषण के बाद ही हिंदुत्व और पार्टी का पोस्टर ब्वाय होता जा रहा है.'

आप कह सकते हैं कि भाई, वरुण बेचारे ने ऐसा क्या कर दिया कि आप अपना प्रवचन बंद ही नहीं कर रहे हैं? ऐसे दर्जनों नेता हैं, वरुण से कहीं बड़े शक्तिशाली, जो कहीं इनसे ज़्यादा ख़तरनाक और निंदनीय बातें न सिर्फ़ कह जाते हैं बल्कि कर डालते हैं.

आपका कहना बिल्कुल सही है. वरुण पर इतना कुछ मैं सिर्फ़ इसलिए लिख रहा हूँ कि उनके जैसे युवा से, वह भी पढ़े-लिखे युवा से, जिसके पास किसी चीज़ की शायद कमी नहीं है, बेहतर बर्ताव और सोच की उम्मीद है. और जब वरुण जैसे नवयुवक ग़लत रास्ता पकड़ते हैं तो देश और अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोच कर डर लगता है.

चलते-चलते एक बात और....पिछले कुछ दिनों में बहुत से लोगों ने वरुण के किस्से में संजय गांधी को भी याद किया है और अलग-अलग तरह की बातें कही हैं, लिखी हैं. पता नहीं संजय होते तो क्या कहते? या क्या सोचते?

पर मुझे संजय गांधी के ख़ास समझे जाने वाले विद्याचरण शुक्ल की बात सुनकर बहुत अच्छा लगा. उन्होंने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा - 'अगर आज संजय गांधी होते तो वरुण का कान पकड़ कर उसकी अक्ल ठिकाने लगा देते.'

1 comment:

  1. mein aapse ye jaanna chahta hoon, phir kis educated person ki log waqalat karte hain? warun gandhi jaisa educated younge generation ki sochh hai ye....to hum kis se ummeed karein?

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