Tuesday, July 14, 2009

समलैंगिकों, तुम्हें सलाम

समलैंगिकों, तुम्हें सलाम !

सुहैल हलीमसुहैल हलीम | 2009-07-13, 12:15

समलैंगिकता सही है या ग़लत, प्राकृतिक है या अप्राकृतिक, क़ानून के दायरे में है या बाहर,

इन सब सवालों पर तो दिल्ली हाईकोर्ट के फ़ैसले के बाद न जाने कबतक बहस जारी रहेगी.

लेकिन मैं एक बात विश्वास के साथ कह सकता हूं और वो ये है कि समलैंगिकता से प्यार और एकता बढ़ती है.

क्या समलैंगिकों में भी, ये तो मुझे नहीं मालूम, लेकिन उन लोगों में अवश्य जो कमर कस कर इसके विरूद्ध आ खड़े हुए हैं.

इसकी एक मिसाल बृहस्पतिवार को दिल्ली प्रेस क्लब में नज़र आई जब समलैंगिकों के ख़िलाफ़ एक दूसरे के सुर से सुर मिलाने के लिए हिंदू, मुस्लिम, सिख ईसाई और जैन धर्मों के नेता एक ही मंच पर जमा हुए.

दुनिया में बड़े बड़े समुद्री तूफ़ान आए, सूनामी में लाखों लोग मारे गए, कितने ही बच्चे आज भी कभी दवा के बगैर तो कभी रोटी के बगैर दम तोड़ रहे हैं, कितनी औरतों की इज्ज़त हर घड़ी नीलाम हो रही है...लेकिन क्या आपको याद है कि हमारे धार्मिक नेता पिछली बार कब एक साथ इस तरह से एक मंच पर आए थे?

यह काम हमारे उन भाई-बहनों ने एक ही झटके में कर दिखाया, यौन संबंधों में जिनकी पसंद हम से ज़रा अलग है.

समलैंगिकों, तुम्हें सलाम !

1 comment: